हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, लखनऊ, पिछले वर्षों की तरह इस वर्ष भी अशरा ए मजालिस बारगाह उम्मुल-बनीन सलामुल्लाह अलैहा मंसूर नगर में सुबह 7:30 बजे आयोजित किया जा रहा है, जिसे मौलाना सैयद अली हाशिम आब्दी खेताब कर रहे हैं।
मौलाना सैयद अली हाशिम आब्दी ने अशरा ए मजालिस की चौथी मजलिस में रसूलुल्लाह स०अ० की हदीस "यक़ीनन क़त्ले हुसैन (अ.स.) से मोमिनों के दिलों में ऐसी गर्मी पैदा हो गई है जो कभी ठंडी नहीं होगी।" को बयान करते हुए कहा: हर चीज़ ख़त्म हो जाये गी मगर जिसे खुदा बाक़ी रखे चाहे दुनिया उसे माने या न माने, जैसे कोई खुदा को माने या न माने, उसकी इबादत करे या न करे उसके ख़ुदा होने में कोई फर्क़ नहीं आये गा, वैसे ही कोई इमाम हुसैन अ०स० को माने या न माने, उनकी अज़ादारी करे या न करे उनकी शान में कोई कमी नहीं आये गी और वैसे ही कोई क़ुरआन का एहतेराम करे या न करे, उसकी तेलावत करे या न करे उसकी शान में कमी आने वाली नहीं है!
मौलाना सैयद अली हाशिम आब्दी ने स्वीडन में हुए पवित्र क़ुरआन के अपमान का जिक्र करते हुए कहा, अल्लाह ने मानवता के मार्गदर्शन के लिए पवित्र कुरान को भेजा है , इसलिए इस आसमानी किताब का अपमान मानवता का अपमान और मानवता से दुश्मनी है। अल्लाह ने इस किताब को भेजा है और वही इसकी सुरक्षा करने वाला है, किसी के अपमान करने से इसका अपमान नहीं होगा, पवित्र कुरान का लगातार अपमान करना दुश्मन की विनम्रता, कायरता, अज्ञानता और मूर्खता का प्रमाण है। यह इस्लामी जगत, विशेषकर हुसैनियों का कर्तव्य है कि वे पवित्र क़ुरआन की शिक्षा का प्रसार करें और उसे दुनिया के सामने प्रस्तुत करें।